तपेश जैन

Friday, February 5, 2010

छत्तीसगढ़ का एकमात्र ऐतिहासिक महालक्ष्मी देवालय लखनी देवी मंदिर

तपेश जैन
प्राचीन दक्षिण कौशल यानी वर्तमान छत्तीसगढ़। छत्तीसगढ़ प्राचीन संस्कृति और धार्मिक भावना से ओत-प्रोत तंत्र-मंत्र साधना और सिद्धियों का राज्य रहा है। मौर्य, सातवाहन, बाकारक, गुप्त, सोम, शरभपुरी और कलचुरी राजाओं ने इस छत्तीसगढ़ में राज्य किया है। कल्चुरी राजाओं ने इस छत्तीसगढ़ में राज्य किया है । कलचुरी राजाओं की राजधानी रतनपुर में शक्तिपीठ माँ महामाया देवी मंदिर के साथ ही लखनी देवी मंदिर का भी विशेष महत्व है। अभी तक ज्ञात मंदिरों की बात करें तो रतनपुर का लखनी देवी मंदिर छत्तीसगढ़ का एकमात्र महालक्ष्मी यानी धन की देवी का एकमात्र ऐतिहासिक और पौरोणिक महत्व का मंदिर कहा जा सकता है। राजा रतनदेव द्वितीय के महामंत्री पंडित मंगाधर शास्त्री द्वारा बनवाकर गए इस मंदिर का आकार पुराणों में वर्णित पुष्पक विमान की तरह है। इस मंदिर की अपनी बपहुत सी विशेषताएँ है जिस पर गहन अध्ययन की आवश्यकता है। वैसे तो माँ महामाया को महाकाली, महालक्ष्मी और माँ सरस्वती का रूप माना जाता है और कहते हैं कि इसे दो रूप माँ महामाया मंदिर में दर्शन होते हैं और विलुप्त सरस्वती ठीक वैसी है जैसे इलाहाबाद के त्रिवेणी संगम में गंगा और यमुना नदी के प्रत्यक्ष दर्शन होते हैं और सरस्वती विलुप्त रूप में इसे त्रिवेणी में शामिल होती है। इसे अगर इस रूप में देखे तो महामाया में महालक्ष्मी का वास है।
बिलासपुर कोरबा मुख्य मार्ग पर स्थित रतनपुर कभी कल्चुरी राजाओं की राजधानी रहा है। कहते हैं करीब एक हजार वर्ष पहले राजा रत्नदेव माणिपुर नामक गांव में आकर शिकार के लिए आए थे और रात्रि ने एक वटवृक्ष में विश्राम के दौरान आदिशक्ति माँ महामाया की सभा से चकित होकर अपनी राजधानी तुम्माणखोल से यहाँ स्थापित की थी। 1050 ईस्वी में उन्होंने महामाया मंदिर की स्थापना की थी जिसमें महाकाली, महालक्ष्मी और माँ सरस्वती की भव्य और कलात्मक प्रतिमाएं विराजमान है। वहीं 1326 ईस्वी में राजा रत्नदेव तृतीय ने प्रधानमंत्री गंगाधर शास्त्री से महालक्ष्मी का ऐतिहासिक मंदिर बिलासपुर कोटा मार्ग पर करवाया। पुराणों में वर्णित पुष्पक विमान के आकार का यहां मंदिर पहाड़ी पर स्थित है। अभी यहाँ सीढिय़ों का निर्माण हो गया है। करीब तीन सौ सीढ़ी की चढ़ाई पर स्थित माँ लक्ष्मी को छत्तीसगढ़ में लखनीदेवी कहा जाता है। नवरात्रि में यहाँ मंगल ज्वार बोने के साथ ही धार्मिक अनुष्ठïान होते हैं।
छत्तीसगढ़ के इतिहास में अगर नजर डाले तो लखनी देवी का मंदिर अपने स्थापन एवं निर्माण कला के लिए अद्भूत है। यहाँ क्वांर और चैत्र दोनों नवरात्रि में माँ महामाया मंदिर की ही तरह लाखों लोग दर्शन करने पहुँचते हैं । छत्तीसगढ़ के स्थानीय निवासियों में माँ लक्ष्मी यानी लखनीदेवी के प्रति अटूट श्रद्धा और विश्वास है। बिलासपुर संभाग में लखनीदेवी मंदिर की बहुत मान्यता है। अब इस मंदिर के नीचे श्री लखनेश्वर महादेव का मंदिर भी निर्मित हो गया है जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केन्द्र है।

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