0 भगत का निष्कासन टला, बागियों के हौसले बुलंद
0 कांग्रेस में भी गुटबाजी, अंतर्कलह के बाद भी कांग्रेसियों की जीत से हौसला अफजाई
तपेश जैन
रायपुर। पंचायत चुनाव के पहले चरण के नतीजें से स्पष्ठ है कि कांग्रेस को बिना कुछ ज्यादे मेहनत के बहुत कुछ हासिल हो रहा है। इसकी एक ही वजह है और वो हैं भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के बीच आपसी मतभेद। और ऐसा नहीं है कि कांग्रेस से जुड़े प्रत्योशियों को पार्टी की एकजुटता से लाभ हो रहा है। कांग्रेस में भी भारी अन्र्तविरोध है लेकिन सत्तारुढ़ दल की अन्र्तकलह का ज्यादा नुकसान हो रहा है और इसके चलते बीजेपी उम्मीदवारों को पराजय का मुंह देखना पड़ रहा है। पहले चरण के नतीजों को देखते हुए यह आंकलन किया जा रहा है कि पार्टी को इस चुनाव में भारी नुकसान हो सकता है। इधर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने संभावित परिणामों की आशंका के तहत अंतिम समय में पार्टी संगठन को पूरी जानकारी दे दी है कि कैसे पार्टी की जड़ें खोदी जा रही है। मंत्रियों के आपसी मनमुटाव के अलावा महत्वकांक्षाओं के कारण जनता में विपरीत असर पड़ रहा है और पार्टी के वोटों का ग्राफ लगातार कम हो रहा है।
गौरतलब है कि बीजेपी इन दिनों संक्रमण काल से गुजर रही है। राष्ट्रीय स्तर में जनाधार कम होने के साथ-साथ अब प्रदेश में लोकप्रियता घटने लगी है। केन्द्र की सत्तारुढ़ यूपीए का कामकाज भले ही बेहतर ना हो लेकिन कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दिनोंदिन बढ़ती प्रसिद्धी से कांग्रेस को जबर्दस्त लाभ मिल रहा है। प्रदेश के पंचायत चुनाव मेें भी राहुल फैक्टर ने कांग्रेस को पुन: जीवित कर खड़ा कर दिया है। हालांकि प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं के घमासान जारी हैं, लेकिन लहुलुहान पार्टी को चुनावों में बहुत ज्यादा मेहनत के बिना मिल रही जीत से संजीवनी मिल रही है। हाल ही में संपन्न नगर निगम चुनावों में उम्मीद से कहीं ज्यादा अच्छे नतीजे कांग्रेस के पक्ष में निकले हैं। रायपुर, बिलासपुर और राजनांदगांव जैसे प्रतिष्ठापूर्ण नगर निमगों में स्तात की बागडोर हाथ में है तो कई नगर पंचायत एवं नगर पालिकाओं में अप्रत्याशित विजय हासिल हुई। अब पंचायत चुनाव के पहले चरण में भी पार्टी की अच्छी बढ़त मिली है और बाकी दो चरणों में भी उम्मीद बढ़त मिली है और पार्टी बाकी दो चरणों में भी उम्मीद से अधिक का आंकलन है। दूसरी और सत्तारुढ़ दल में नेताओं के मतभेद लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। बिना किसी पार्टी चुनाव चिन्ह के हो रहे पंचायत चुनाव में बीजेपी जिला पंचायत सदस्यों के लिए उम्मीदवारी घोषित की है। इन प्रत्याशियों के खिलाफ भी पीर्टी के बागियों को नेताओं ने खड़ा कर दिया है। इसके चलते मुकाबला कड़ा हो गया है। वहीं कांग्रेस से जुड़े उम्मीदवारों को लाभ मिल रहा है। भाजपा के जिन नेताओं ने पार्टी उम्मीदवारों के खिलाफ कैंडीडेट खड़े हैं किए हैं उसमें प्रमुख रूप से पूर्व मुख्यमंत्री गणेशराम भगत का काम हैं। बताया जाता है कि जशपुर जिला में कई पंचायतों में भाजपा समर्थित प्रत्याशी निर्विरोध जीत की स्थिति में थे लेकिन श्री भगत ने अपने समर्थकों को मैदान में उतारकर चुनौती दे दी है। याद दिला दें कि जशपुर में सांसद दिलीप सिंह जुदेव का जबर्दस्त प्रभाव है और नगर पालिका के सभी पार्षद भाजपा के चुने गये हैं। श्री भगत को पिछला विधानसभा चुनाव निर्वाचन क्षेत्र बदलकर सीतापुर से लडऩा पड़ा था जिसमें वे हार गए। इस हार से बौखलाए श्री भगत ने पंचायत चुनाव में बागियों को चुनाव समर में उतारकर उलझनें उत्पन्न कर दी है। श्री भगत की इस बगावत के खिलाफ पार्टी ने उन्हें पार्टी से बाहर निकालने की मन: स्थिति बना ली थी लेकिन वनवासी कल्याण आश्रम के हस्तक्षेप के बाद मामला टल गया है।
श्री भगत को पार्टी से निष्कासित करने की बजाय उन्हें छूट देने पर विचार किया जा रहा है। वहीं कई क्षेत्रोंं में मंत्रियों सहित कई प्रभावशील नेताओं के बागी प्रत्याशियों ने बीजेपी की बेहतर संभावनाओं को पराजय में बदल दिया है। बहरहाल सीधे-सरल मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के लिये पंचात चुनाव नतीजों के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न होंगे। परिणामों से ही निष्कर्ष निकलेगा कि भाजपा में फिर जीत की खुशियों में विद्रोह के स्वर दब जायेंगे या फिर बागी तेवरों में उफान आएगा।
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